बेहद ख़ूबसूरत और शांत इलाक़े लक्षदीप में इन दिनों सियासी तूफ़ान आया हुआ है। तूफ़ान की वजह हैं- लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल पटेल के कुछ प्रस्ताव और फ़ैसले। पटेल के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा इतना ज़्यादा है कि बीजेपी में भी स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ता दोफाड़ हो गए हैं।
लक्षद्वीप बीजेपी के अध्यक्ष अब्दुल खादिर हाजी पटेल ने पटेल का समर्थन किया है तो पार्टी के अन्य नेताओं ने उनके फ़ैसलों की आलोचना की है। यहां तक कि केंद्रीय स्तर पर भी कुछ नेता प्रशासक के प्रस्तावों के ख़िलाफ़ हैं। उधर, लक्षद्वीप के डीएम एस. एस्केर अली ने ने कहा है कि अगले दो दशक में इसे मालदीव जैसा बनाया जाएगा।
कौन हैं प्रफुल पटेल?
जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो पटेल वहां गृह मंत्री थे। ऐसे में साफ है कि पटेल मोदी के क़रीबी लोगों में शामिल हैं। पटेल बीते साल दिसंबर में यहां प्रशासक बनकर आए थे और कुछ ही महीनों में उनके ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर आ गए हैं।
पटेल का नाम दादरा और नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर द्वारा आत्महत्या करने के मामले में भी सामने आया था। डेलकर के बेटे ने पटेल पर उसके पिता का उत्पीड़न करने के आरोप लगाए थे।
क्यों हुआ विवाद?
हाल ही में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 का मसौदा सामने आया है। यहां के लोग इस मसौदे को ज़मीन को हड़पने वाला बता रहे हैं। इसके अलावा पटेल ने बीफ़ पर बैन लगाने का क़दम उठाया है। अपराध बेहद कम होने के बाद भी गुंडा एक्ट लगाने और ऐसे लोग जिनके दो से ज़्यादा बच्चे हैं, उन्हें पंचायत चुनाव में अयोग्य ठहराने जैसे उनके प्रस्तावों के कारण घमासान मचा हुआ है।
बीजेपी की लक्षद्वीप इकाई के अध्यक्ष अब्दुल खादिर हाजी पटेल के साथ हैं तो महासचिव मोहम्मद कासिम पटेल को तानाशाह बताते हैं और कहते हैं कि उनके तमाम फ़ैसले और प्रस्ताव लक्षद्वीप के लोगों के हक़ में नहीं हैं। कासिम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़त लिखकर भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।
कई नेताओं ने छोड़ी बीजेपी
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बीजेपी के कुछ स्थानीय नेताओं ने पटेल के द्वारा उठाए जा रहे क़दमों के विरोध में पार्टी को अलविदा कह दिया है। अब्दुल खादिर हाजी कहते हैं कि वे लोग बीजेपी से नहीं जुड़े थे लेकिन कासिम उनकी बात को ग़लत बताते हैं और कहते हैं कि पार्टी छोड़ने वालों में से कुछ लोग बीजेपी के पदाधिकारी थे।
कासिम ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहते हैं कि पटेल के प्रस्तावों के लागू होने के कारण यहां लोगों की नौकरियां चली जाएंगी और उनका उत्पीड़न होगा। कासिम को पूरा भरोसा है कि केंद्र सरकार जन विरोधी और लक्षद्वीप विरोधी ऐसे क़दमों का समर्थन नहीं करेगी।
जबकि अब्दुल खादिर हाजी कहते हैं कि पटेल के उठाए गए क़दमों के लागू होने से लक्षद्वीप का विकास होगा। हालांकि वह बीफ़ बैन और ज़मीन को लेकर आए कुछ प्रस्तावों को अच्छा नहीं मानने की बात स्वीकारते हैं। केरल बीजेपी के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन भी पटेल के समर्थन में हैं।
कांग्रेस ने इसे लक्षद्वीप के सांस्कृतिक मामलों में घुसपैठ बताया है और कहा है कि पटेल यहां के सामाजिक ताने-बाने को बर्बाद कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद हाईबी इडेन कहते हैं कि पटेल ने सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों पर मुक़दमे लगा दिए और उन्हें देशद्रोही घोषित कर दिया।
राहुल, पवार ने लिखा ख़त
केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने भी इसे लेकर नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। राहुल ने कहा है कि मोदी पटेल से कहें कि वे अपने विवादित फ़ैसलों और प्रस्तावों को वापस लें। राहुल के मुताबिक़, पटेल ने वहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से बात किए बिना ये एकतरफ़ा फ़ैसले ले लिए और ये पूरी तरह स्थानीय लोगों के ख़िलाफ़ हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी प्रधानमंत्री मोदी को ख़त लिखकर कहा है कि पटेल के फ़ैसले लक्षद्वीप की अनूठी संस्कृति को बर्बाद कर देंगे। उन्होंने कहा है कि पटेल के फ़ैसले ग़लत और तर्कहीन हैं।
डीएम बचाव में उतरे
इतनी सारी आलोचनाओं के बाद भी लक्षद्वीप प्रशासन पीछे नहीं हटा है और उसने कहा है कि ऐसे क़दम लक्षद्वीप के भविष्य की आधारशिला रख रहे हैं और अगले दो दशक में इसे मालदीव जैसा बनाया जाएगा।
लक्षद्वीप के डीएम एस. एस्केर अली ने कहा है कि कुछ लोग अपने फ़ायदे के लिए और वे लोग जो अवैध व्यापार में शामिल हैं, वे पटेल के ख़िलाफ़ एजेंडा चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि शराब का लाइसेंस सिर्फ़ पर्यटन से जुड़े कुछ लोगों को दिया गया है और यह सिर्फ़ पर्यटकों के लिए ही है।
उन्होंने कहा कि जब हम लक्षद्वीप के विकास की बात करते हैं तो हम क़ानून व्यवस्था से समझौता नहीं कर सकते क्योंकि यहां भी अपराध के कुछ मामले आने लगे हैं। उन्होंने फिर कहा कि लक्षद्वीप के प्रशासन की कोशिश अगले 10 से 20 साल में इसे मालदीव जैसा बनाने की है।
केरल देश का ऐसा राज्य है, जहां पर मुसलिम और ईसाई आबादी मिलाकर 50 फ़ीसदी के आसपास है और लक्षद्वीप केरल पर ही निर्भर है। लक्षद्वीप में 98 फ़ीसदी मुसलिम आबादी है। लक्षद्वीप में कभी भी किसी तरह के धार्मिक विवाद की बात नहीं सुनाई दी। लेकिन पटेल के इन प्रस्तावों ने इस पूरे इलाक़े को अशांत कर दिया है।
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