चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला
जीत
चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला
जीत
पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
जीत
केंद्र द्वारा मणिपुर में शांति समिति गठित करने के एक दिन बाद ही इस पर संकट के बादल छा गए। अधिकांश कुकी प्रतिनिधियों ने कहा है कि वे पैनल का बहिष्कार करेंगे। ऐसा करने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। एक कारण बताया गया है कि उन्हें पैनल में शामिल करने के लिए उनकी सहमति नहीं ली गई थी। उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई है कि शांति समिति में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और उनके समर्थक शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि इसमें केंद्र की ओर से प्रतिनिधि शामिल नहीं है। उन्होंने मांग की कि पहले केंद्र बातचीत के लिए अनुकूल स्थिति बनाए।
मणिपुर में हिंसा के बाद शांति लाने के प्रयास के तहत शांति समिति गठित करने की घोषणा की गई थी। शांति समिति के साथ ही एक न्यायिक जांच पैनल की भी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर की अपनी चार दिवसीय यात्रा के अंत में घोषणा की थी।
समिति में गृह मंत्रालय ने राज्यपाल अनुसुइया उइके को अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, राज्य के कुछ मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को सदस्य बनाया है। समिति की घोषणा करते समय गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि इसमें विभिन्न जातीय समूहों के प्रतिनिधि होंगे, लेकिन तब इसकी संरचना पर कोई और विवरण नहीं दिया गया था।
अब यह विवरण सामने आया है। मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए केंद्र द्वारा घोषित राज्यपाल के नेतृत्व वाली समिति में 51 सदस्य शामिल हैं। इसमें मेइती और कुकी समुदायों के लोग भी हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा नामित लोगों में से 25 बहुसंख्यक मेइती समुदाय से हैं, 11 कुकी समूहों से संबंधित हैं और 10 नागा समुदाय से हैं। मुस्लिम और नेपाली समुदायों का प्रतिनिधित्व क्रमशः तीन और दो सदस्यों द्वारा किया जाएगा।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार पैनल के सदस्य बनाए गए कई लोगों ने खुलासा किया है कि उन्हें उनकी सहमति के बिना जोड़ा गया। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे ही एक सदस्य कुकी इंपी मणिपुर यानी केआईएम के अध्यक्ष अजांग खोंगसाई ने कहा कि वह शांति वार्ता के लिए मणिपुर सरकार के साथ नहीं बैठ पाएंगे।
खोंगसाई ने द हिंदू को बताया, 'पैनल में COCOMI (मणिपुर अखंडता पर समन्वय समिति, इंफाल में एक नागरिक समाज समूह) शामिल है जिसने कुकी के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है। हम शांति चाहते हैं लेकिन इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, जब हिंसा जारी है, हम मणिपुर सरकार के साथ बातचीत नहीं कर सकते हैं।'
एक सेवानिवृत्त भारतीय रक्षा लेखा सेवा अधिकारी जे. लुंगदिम ने भी कहा कि उनका नाम उनकी सहमति के बिना पैनल में शामिल किया गया।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार लिंगदिम ने कहा, '2016 में मुझे हथियारों के सौदे को अंतिम रूप देने के लिए रूस भेजा गया था। 37 साल सरकार की सेवा करने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा हमें विदेशी कहा जा रहा है। पैनल का नेतृत्व केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिए, अन्यथा यह फलदायी नहीं होगा। यह शर्म की बात है कि यह मुद्दा एक महीने से अधिक समय से लटका हुआ है।' लुंगदिम 2020 में सेवानिवृत्त हुए थे।
पैनल में मणिपुर के पूर्व पुलिस महानिदेशक पी. डौंगेल शामिल थे, जिनका तबादला गृह के विशेष कार्य अधिकारी यानी ओएसडी के रूप में किया गया था। डोंगेल, एक कुकी हैं जो इस महीने सेवानिवृत्त होने वाले हैं, को 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से दरकिनार कर दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार इम्फाल में रहने वाले ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गनाइजेशन (एएमयूसीओ) के अध्यक्ष नंदो लुवांग ने कहा कि उन्हें पैनल में अपना नाम शामिल किए जाने की जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने इसे एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि समूह के अन्य सदस्यों के साथ चर्चा करने के बाद बैठक में भाग लेने पर अंतिम निर्णय लेंगे।
प्रख्यात रंगमंच कलाकार रतन थियाम भी शांति पैनल में शामिल हैं। सांस्कृतिक भाईचारे पर समन्वय समिति द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे थियम ने सवाल किया कि जब राज्य में पूरी तरह से अव्यवस्था थी तो प्रधानमंत्री चुप क्यों थे।
बता दें कि 3 मई से कुकी और मेइती समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं और पुलिस शस्त्रागार से 4,000 से अधिक हथियार लूट लिए गए हैं या छीन लिए गए हैं। राज्य में जब तब हो रही हिंसा को रोकने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ दिन पहले ही राज्य की यात्रा की थी और कई कदम उठाने की घोषणा की थी। लेकिन लगता है कि शांति की पहल इतनी आसान भी नहीं है।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें