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किरण बेदी को पुडुचेरी के लेफ़्टिनेंट गवर्नर के पद से हटाया 

किरण बेदी को पुडुचैरी के लेफ़्टिनेंट गवर्नर के पद से मंगलवार को हटा दिया गया। राष्ट्रपति भवन ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है। इसके साथ ही तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन से कहा गया है कि वे अपनी मौजूदा ज़िम्मेदारी के अलावा पुडुच्चेरी के लेफ़्टनेंट गवर्नर का काम भी देंखे।
राष्ट्रपति भवन से जारी बयान में कहा गया है, "राष्ट्रपति ने आदेश दिया है कि किरण बेदी पुडुचेरी के लेफ़्टिनेंट गर्वनर पद पर अब नहीं रहेंगी, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन से कहा गया है कि वे अपने मौजूदा काम के अलावा पुडुचेरी के लेफ़्टनेंट गवर्नर के दायित्वों का भी निर्वाह करें। वे यह काम तब तक देखती रहें जब तक नए लेफ़्टिनेंट गवर्नर को नियुक्त नहीं कर दिया जाता है।" 
किरण बेदी पर लगातार आरोप लगता रहा है कि वे राज्य सरकार से सहयोग नहीं करती हैं और राज्य के विकास में रोड़े डालती रहती हैं। राज्य में कुछ महीने बाद ही विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में बीजेपी इस आरोप से खुद को अलग करना चाहती है।

संकट में सरकार?

इसके पहले मंगलवार को ही पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को जोरदार झटका लगा। पार्टी के चार विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया। इस वजह से 30 सदस्यों वाली पुडुचेरी की विधानसभा में कांग्रेस के नेतृत्व वाली वी. नारायणसामी सरकार अल्पमत में आ गई। कांग्रेस के पास 15 विधायक थे लेकिन अब यह संख्या 11 रह गई है। डीएमके के दो विधायक उसके साथ हैं लेकिन फिर भी बहुमत के लिए ज़रूरी 16 विधायकों से उसके पास तीन विधायक कम हैं। 

इन चार विधायकों में से दो विधायकों ने पिछले महीने 25 जनवरी को इस्तीफ़ा दिया था, एक विधायक ने सोमवार को और एक विधायक ने मंगलवार को इस्तीफ़ा दिया है। 

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यह सियासी घटनाक्रम तब हुआ है जब पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को पुडुचेरी के दौरे पर आने वाले हैं। राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले चार विधायकों के कांग्रेस छोड़ने से पार्टी के लिए सत्ता में वापसी करना मुश्किल हो सकता है। 

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पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल 

इस्तीफ़ा देने वाले विधायकों में ए. नमशिवायम, ई.थिप्पयनजन, मल्लाडी कृष्णा राव और जॉन कुमार शामिल हैं। इनमें से ए. नमशिवायम, ई.थिप्पयनजन बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। ए. नमशिवायम का जाना कांग्रेस के लिए ज़्यादा बड़ा झटका है क्योंकि वह पुडुचेरी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। पार्टी छोड़ने के बाद से कई कार्यकर्ता ए. नमशिवायम के साथ जा चुके हैं। ए. नमशिवायम 2016 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे लेकिन पार्टी ने वी. नारायणसामी को मुख्यमंत्री बनाया था। 

बीजेपी इस बार केरल, तमिलनाडु के साथ ही पुडुचेरी में भी पूरी ताक़त के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। एआईएडीएमके के राज्य में चार विधायक हैं जबकि एआईएनआर कांग्रेस के सात विधायक हैं। 

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कांग्रेस आलाकमान पर सवाल

पुडुचेरी का घटनाक्रम एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान पर सवाल खड़े करता है क्योंकि बीते कुछ सालों में यह पहला मौक़ा नहीं है, जब किसी राज्य में विधायक पार्टी को छोड़कर गए हों। कर्नाटक, मध्य प्रदेश में विधायकों के पार्टी छोड़कर जाने की वजह से उसकी सरकार चली गई। इसके अलावा गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में ऐसा हो चुका है। 

राजस्थान और पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्रियों के ख़िलाफ़ बग़ावत हो चुकी है। 

कांग्रेस के मुताबिक़, इस सबके पीछे कारण बीजेपी का ‘ऑपरेशन लोटस’ है। लेकिन वह बीजेपी पर दोष डालकर नहीं बच सकती। विधायकों की भगदड़ के लिए सिर्फ़ बीजेपी को दोष देने के बजाय पार्टी आलाकमान कांग्रेस की राज्य इकाइयों के साथ बातचीत करे और संगठन को मजबूत बनाए। 

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क़मर वहीद नक़वी
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