कहानी में अगर नायक है तो खलनायक भी ज़रूर होगा। अगर नायक नाकाम है तो उसकी वजह शर्तिया तौर पर खलनायक होगा। अगर कोई वास्तविक खलनायक नहीं है तब भी कोई विलेन कैरेक्टर क्रियेट किया जाएगा। कहानी गढ़ने का ये एक स्टीरियो टिपिकल अंदाज़ है, जो भारतीय समाज में बरसों से चला आ रहा है। आप अपने घर परिवार, मुहल्ले या रिश्तेदारी के किसी स्पॉइल जीनियस चाचा या मामा की कहानी सुन लीजिये। उनकी बर्बादी की जिम्मेदारी परिवार या आसपास के उसी आदमी पर डाली जाएगी जिसने सबसे ज्यादा तरक्की की हो।