ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि टीम इंडिया के महानतम टेस्ट खिलाड़ियों में से एक रविचंद्रण अश्विन को किसी विदेशी टेस्ट मैच के लिए प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया हो। लेकिन, यह ज़रूर पहली बार हुआ है जब उन्हें 1 या 2 नहीं बल्कि लगातार 4 मैचों के लिए नज़रअंदाज़ किया गया हो, ख़ासकर तब टीम सीरीज़ में संघर्ष करती हुई दिख रही है।
अश्विन को लेकर कोहली का रवैया निरंकुशता की मिसाल!
- खेल
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- 3 Sep, 2021

अभी तक इस दौरे पर रोहित शर्मा, कोहली, पुजारा और रहाणे जैसे सीनियर बल्लेबाज मिलकर भी 1 शतक नहीं जमा पाये हैं लेकिन इसके बावजूद कोई यह तर्क नहीं देता है कि इन्हें बाहर कर दो। लेकिन, अश्विन जैसे चैंपियन गेंदबाज के साथ कोई सहानूभित वाला नज़रिया नहीं अपनाता है। आख़िर क्यों?
ओवल टेस्ट से पहले आम क्रिकेट फैन और दुनिया के हर एक्सपर्ट अगर किसी एक बात पर सहमत दिखाई दे रहे थे तो वो यह कि अश्विन को हर हाल में ओवल टेस्ट में खेलना चाहिए था। लेकिन, जब कोहली टॉस के लिए आये और अपनी टीम का खुलासा किया तो हर कोई भौंचक्का रह गया। इसे कुछ कोहली समर्थक दिलेर और बहादुरी वाला फ़ैसला भी कह सकते हैं, कुछ यह भी तर्क देंगे कि चूँकि ओवल की पिच में घास काफी थी इसलिए कोहली का 4 तेज़ गेंदबाज़ों के साथ उतरना इस सीरीज़ में उनके गेंदबाज़ी टैमप्लेट को बरकरार रखना था।