इस हफ्ते यूरो फाइनल में मेज़बान इंग्लैंड की हार के बाद जैसे कुछ फुटबॉलप्रेमी बौखलाए, उससे दुनिया भर में शायद ही कोई चौंकता क्योंकि कई दशकों से इंग्लिश फुटबॉल प्रेमी की छवि उपद्रवी और दंगाई के तौर पर बनी हुई है। लेकिन, दुख की बात यह थी कि टीम की हार के लिए भड़के फैंस ने अपने ही मुल्क के खिलाड़ियों पर निशाना साधा। सबसे ज़्यादा मायूस करने वाली बात ये रही कि तीन अश्वेत खिलाड़ियों मार्कस रशफोर्ड, बुकायोसाका और जेडन सांचो पर नस्लीय और भद्दी टिप्पणियाँ की गईं। ये इतना शर्मनाक था कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को खुद सार्वजिनक तौर पर ऐसे रवैये की निंदा कनी पड़ी जो खुद हमेशा से देश और समाज को बांटने वाले सिद्धांतों की वकालत करते आये हैं।