‘विदेशी स्त्री से उत्पन्न संतान कभी देशहित और राष्ट्र प्रेम का अनुगामी नहीं हो सकता।’- ये भयानक विचार हैं बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के। विजयवर्गीय बीजेपी के महामंत्री हैं। मध्य प्रदेश में ख़ुद को मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार के तौर पर देखते हैं। लेकिन उनकी भाषा देखिए। भाषा का संस्कार देखिए। इस भाषा के पीछे का कुत्सित विचार देखिए। यह नफ़रत और घृणा से भरा हुआ है। उनके निशाने पर राहुल गाँधी हैं। सबको पता है कि उनकी माँ सोनिया गांधी है। वे विदेशी हैं। इटली की रहने वाली हैं। राहुल के पिता राजीव गाँधी से शादी के बाद वे भारत में ही बस गई। भारतीय परिधान में रहती है। बहुत ख़ूबसूरत साड़ी पहनती हैं। हिंदी बोलती हैं।

कैलाश विजयवर्गीय के बेहूदा बयान पर पश्चात्ताप करने के बजाय नक़ली देशभक्तों ने यह प्रचार करना शुरू कर दिया है कि ये उनके विचार नहींं हैं। बल्कि आचार्य चाणक्य के हैं। वे ऐसा कहते थे। चाणक्य क्या कहते थे और क्यों कहते थे, यह इतिहास का विषय है। उनकी आड़ में सोनिया और राहुल गाँधी पर ऐसी टिप्पणी करना मानसिक दिवालियेपन का प्रतीक है। इसलिए उनकी आड़ में न छिपें।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।