सरकारी कागजों में भले ही देशबन्धु कोई विश्वविद्यालय नहीं है, लेकिन यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि पत्रकारिता की बेहतरीन पीढ़ी को तैयार करने में देशबन्धु की भूमिका अहम है। गर्व से कहता हूँ कि (गर्व से कहो हम हिन्दू हैं... वाले तर्ज़ पर नहीं) मैं भी मायाराम जी सुरजन और ललित सुरजन जी के द्वारा स्थापित पत्रकारिता विश्वविद्यालय का एक अदना सा विद्यार्थी रहा हूँ। अब तो किसी कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम सुनता हूँ और वहाँ से पढ़कर निकलने वाले शेयर होल्डर पत्रकारों के कामकाज को देखता हूँ तो हँसी आती है, क्षोभ भी होता है।