30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दो जजों ने पुरातत्व विभाग की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर यह माना था कि बाबरी मसजिद किसी हिंदू मंदिर (ज़रूरी नहीं कि वह राम का ही मंदिर रहा हो) को गिराकर बनाई गई है। तीसरे जज का मत था कि मसजिद वाली ज़मीन की खुदाई में हिंदू मंदिर के जो अवशेष मिले हैं, वे संभवतः किसी मंदिर के भग्नावशेष थे। उनके अनुसार यदि मंदिर तोड़कर मसजिद बनाई जाती तो ये अवशेष ज़मीन के अंदर नहीं होते, बाहर के ढाँचे पर लगाए गए होते।
क्या तुलसी के दोहों में लिखा है राम मंदिर तोड़े जाने का क़िस्सा?
- विचार
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- 29 Oct, 2019

अयोध्या मामले में फ़ैसला कुछ ही दिनों में आने वाला है। सभी को बेताबी से इंतज़ार है कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या की उस विवादित ज़मीन के बारे में क्या निर्णय करता है जिसपर 6 दिसंबर 1992 से पहले बाबरी मसजिद खड़ी हुई थी और जिसके बारे में दावा है कि सन 1528 से पहले वहाँ राम का एक मंदिर था जिसे तोड़कर यह मसजिद बनाई गई थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज भले न मानें कि बाबरी मसजिद राम मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रिय लाखों लोग न केवल यह मानते हैं कि मंदिर तोड़ा गया था, बल्कि यह भी कि वह तोड़ा गया मंदिर राम का ही था। उनके पास अपने समर्थन में एक बहुत 'मज़बूत प्रमाण' है - गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित वे आठ दोहे जिनमें उन्होंने साफ़-साफ़ कहा है कि मीर बाक़ी ने यह मंदिर तोड़ा और मसजिद बनाई।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश