पिछली कड़ी में हमने जाना था कि मुंबई में अपनी प्रैक्टिस जमाने में नाकाम रहने के बाद गाँधीजी राजकोट चले आए जहाँ उनके वकील भाई की मदद से उनको छोटा-मोटा काम मिलना शुरू हो गया और घर का ख़र्चा निकलने लगा। लेकिन उन्हीं दिनों एक अंग्रेज़ अफ़सर से उनका झगड़ा हो गया। दरअसल वह अफ़सर गाँधीजी के बड़े भाई से किसी कारण ख़फ़ा था और गाँधीजी अपने उसी भाई के दबाव में उससे मिलने चले गए। परंतु बात बनने के बजाय और बिगड़ गई। गाँधीजी को पहले से जानने के बावजूद वह अफ़सर उनके साथ बेरुखी से पेश आया। यही नहीं, उसने चपरासी के हाथों उन्हें कमरे से निकलवा दिया।