भारतीय राजनीति में अधिकतर समय विपक्ष मजबूत नहीं रहा है लेकिन मौजूदा समय की तरह कभी इतना नाकारा और डरा हुआ भी नहीं रहा है। आज भारतीय राजनीति का विपक्ष अभूतपूर्व संकट के दौर से जूझ रहा है जिसके चलते सत्तापक्ष लगातार बेकाबू होता जा रहा है।
कांग्रेस के सामने मुसीबतें; सत्ता के सामने विपक्ष का शर्मनाक सरेंडर!
- पाठकों के विचार
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- 31 Nov, 2020

करीब एक साल हो गया है लेकिन पार्टी में नेतृत्व को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है। इस्तीफ़ा देते समय राहुल गांधी ने 2019 की हार के बाद कांग्रेस नेताओं के जवाबदेही लेने, पार्टी के पुनर्गठन के लिए कठोर फ़ैसले लेने और गांधी परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को अध्यक्ष चुनने की बात कही थी। लेकिन इनमें से भी कुछ नहीं हुआ और आखिरकार उनका इस्तीफ़ा भी बेकार चला गया। फिलहाल सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं।
विपक्ष के रूप में कांग्रेस अपने आप को पूरी तरह से नाकारा साबित कर ही रही है, बाकी विपक्षी पार्टियों ने भी एक तरह से सरेंडर किया हुआ है। यहां तक कि इनमें से अधिकतर पार्टियां रोजमर्रा की राजनीतिक गतिविधियों में तक शामिल नहीं दिखाई पड़ रही हैं। चूंकि बीजेपी के बाद कांग्रेस ही सबसे बड़ी और प्रभावशाली पार्टी है, इसलिए उसका संकट भारतीय राजनीति के विपक्ष का संकट बन गया है।