कोरोना वायरस के कारण मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा भी देश में तेजी से उभरकर आया है! लॉकडाउन ने लोगों की आदतें तो ज़रूर बदल दी हैं लेकिन एक बड़ा तबक़ा तनाव के बीच जिंदगी जी रहा है। यह तनाव बीमारी और भविष्य की चिंता को लेकर है।
सुशांत की मौत: डिप्रेशन का दंश मैंने भी झेला है!
- पाठकों के विचार
- |
- |
- 15 Jun, 2020

लॉकडाउन के कारण लंबे समय तक घरों में कैद होने की वजह से डिप्रेशन कई गुना बढ़ रहा है और इन हालात में स्वयं को सामान्य बनाये रख पाना निश्चित ही किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
कोरोना से बचने के लिए लोग घरों में तो हैं लेकिन कहीं ना कहीं उन्हें इस बीमारी की चिंता लगी रहती है और वह दिमाग के किसी कोने में मौजूद रहती है जिसकी वजह से इंसान की सोच पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। लॉकडाउन ही नहीं उसके बाद की भी चिंता से लोग ग्रसित हैं क्योंकि कई लोगों के सामने रोजगार, नौकरी और वित्तीय संकट की समस्या पैदा हो चुकी है।