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पंजाब: क़िला मज़बूत करने में जुटे कैप्टन, हिंदू नेताओं संग ‘लंच पॉलीटिक्स’

पंजाब कांग्रेस में चल रही कलह के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कहीं से भी उन्नीस नहीं दिखना चाहते। उनके ख़िलाफ़ बग़ावत का बिगुल फूंकने वाले नवजोत सिंह सिद्धू की जब राहुल और प्रियंका गांधी से बुधवार को मुलाक़ात हुई तो कैप्टन ने भी नया दांव चला और पंजाब कांग्रेस में अपने समर्थक हिंदू नेताओं को अगले ही दिन यानी गुरूवार को लंच पर बुला लिया। 

उधर, सिद्धू के दिल्ली दौरे के बाद कहा जा रहा है कि आलाकमान ने सुलह का रास्ता तैयार कर लिया है। 

बहरहाल, यहां बात कैप्टन की हो रही है जिन्होंने लगभग 25 हिंदू नेताओं को लंच पर बुलाया। पंजाब में 40 फ़ीसदी हिंदू आबादी है, ऐसे में इस आबादी को साधने की कोशिश सभी दल करते हैं। कहा जा रहा है कि अपने सियासी क़िले को मज़बूत करने और आलाकमान को अपनी ताक़त दिखाने के लिए ही कैप्टन ने लंच का कार्यक्रम रखा। 

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पंजाब कांग्रेस के जिन बड़े हिंदू नेताओं को लंच पर बुलाया गया, उनमें सांसद मनीष तिवारी, पांच कैबिनेट मंत्री- ब्रह्म मोहिंद्रा, ओपी सोनी, सुंदर शाम अरोड़ा, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु, विधायक राजकुमार वेरका और पूर्व विधायक अश्विनी सेखड़ी शामिल हैं।
पंजाब में हिंदू मतदाता विशेष रूप से कांग्रेस के साथ ही जुड़ा रहा है, कुछ हिस्सा बीजेपी के साथ भी रहा लेकिन चूंकि बीजेपी पंजाब में बड़ी सियासी ताक़त नहीं रही है इसलिए कांग्रेस को ही अधिकतर हिंदू आबादी के वोट मिलते रहे हैं।

हिंदू नेताओं की नाराज़गी 

लंच पर बुलाने की एक वज़ह यह भी है कि कांग्रेस में हिंदू नेताओं की नाराज़गी की ख़बरों को लेकर कैप्टन यह पैगाम नहीं जाने देना चाहते थे कि इन नेताओं को कांग्रेस में सम्मान नहीं मिल रहा है, ऐसे में हिंदू मतदाताओं के बीजेपी की ओर जाने का ख़तरा था इसलिए इसलिए कैप्टन ने हिंदू नेताओं की नाराज़गी दूर करने की कोशिश की है। 

Punjab congress crisis Amarinder Singh called Hindu leaders at lunch - Satya Hindi

अमरिंदर भी आएंगे दिल्ली 

इधर, सिद्धू के दिल्ली में राहुल और प्रियंका से मुलाक़ात के बाद अमरिंदर ख़ेमा भी दिल्ली जाने की कोशिश में है। अमरिंदर सिंह के समर्थक विधायक राजकुमार वेरका ने कहा है कि मुख्यमंत्री भी दिल्ली जाएंगे और आगामी चुनावों को लेकर आलाकमान से मुलाक़ात करेंगे। अमरिंदर जब दिल्ली आए थे तो उनकी मुलाक़ात आलाकमान से नहीं हुई थी लेकिन सिद्धू की राहुल और प्रियंका से मुलाक़ात के जवाब में अमरिंदर भी दिल्ली आएंगे। 

बीते कुछ दिनों में कैप्टन ने अपने समर्थकों को एकजुट करने की कोशिश की है और उनके साथ बैठक भी की है। कैप्टन अपने क़िले को चाक-चौबंद रखना चाहते हैं जिससे ज़रूरत पड़ने पर आलाकमान के सामने शक्ति प्रदर्शन किया जा सके।
उधर, जिस सुलह के फ़ॉर्मूले की बात हो रही है उसके मुताबिक़, ख़बर यह है कि 2022 के चुनाव में चेहरा अमरिंदर सिंह ही रहेंगे लेकिन सिद्धू को कांग्रेस की प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस बीच, अमरिंदर के समर्थक माने जाने वाले और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि पंजाब को कैप्टन से बेहतर कोई और नहीं समझता। 
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अमरिंदर की अहमियत

कांग्रेस आलाकमान जानता है कि अमरिंदर की अगुवाई में ही 2017 के विधानसभा चुनाव में शिअद-बीजेपी के गठबंधन को हार मिली थी। कहा जाता है कि तब अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस आलाकमान से साफ कह दिया था कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी उन्हें देनी होगी, वरना वह कोई भी क़दम उठा सकते हैं और आलाकमान ने प्रताप सिंह बाजवा को हटाकर कैप्टन को अध्यक्ष बना दिया था। कैप्टन ने आलाकमान के इस फ़ैसले को सही साबित भी करके दिखाया था। 

इसलिए कांग्रेस आलाकमान को इस बात का अंदाजा है कि सिद्धू को ज़्यादा भाव देना और अमरिंदर सिंह को नज़रअंदाज करना ख़तरे से खाली नहीं होगा। 

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पवन उप्रेती
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