पंजाब कांग्रेस में खासी उथल-पुथल मचाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू गुरूवार शाम को पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय दफ़्तर में पहुंचे। यहां सिद्धू पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत और पार्टी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल के सामने पेश हुए।
पेशी के बाद सिद्धू ने पत्रकारों से कहा, “मैंने पंजाब को लेकर, पंजाब कांग्रेस को लेकर जो मेरी चिंताएं थीं, उन्हें पार्टी हाईकमान को बताया है। मुझे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी पर पूरा भरोसा है। मुझे पूरा भरोसा है कि वे जो भी फ़ैसला लेंगे, वो पंजाब के हित में होगा।
क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने कहा कि वह पार्टी हाईकमान के हर आदेश का पालन करेंगे।
सिद्धू के साथ बैठक के बाद हरीश रावत ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, “सिद्धू अपनी बात साफ कह चुके हैं कि वे कांग्रेस नेतृत्व के आदेश का पालन करेंगे और आदेश साफ है कि सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर अपना काम पूरी ताक़त के साथ करें।” रावत ने यह भी कहा कि शुक्रवार को इस मामले में बड़ी सूचना दी जाएगी।
सिद्धू पंजाब के लिए अपने 18 बिंदुओं वाले एजेंडे की बात करते रहे हैं। मुलाक़ात से पहले उन्होंने एक इंटरव्यू का वीडियो ट्वीट किया था। इस वीडियो में सिद्धू ने पंजाब से जुड़े कई मसलों पर खुलकर बात की थी।
हक़ीक़त लिखकर शेयर किए गए इस वीडियो में सिद्धू ने कहा था कि वे पार्टी हाईकमान के समर्थन के लिए उसके शुक्रगुजार हैं लेकिन वह किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे।
टल गई मुसीबत?
बहरहाल, सिद्धू ने अब जब इस बात को कहा है कि वह कांग्रेस नेतृत्व के आदेश का पालन करेंगे और हरीश रावत ने भी उनसे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर पूरी ताक़त के साथ काम करने के लिए कहा है तो माना जाना चाहिए कि सिद्धू के इस्तीफ़े के बाद पंजाब कांग्रेस पर आई बड़ी मुसीबत अब टल गई है और सिद्धू पद पर रहकर पूरी सक्रियता से पार्टी के लिए काम करेंगे।
कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के लाख विरोध के बाद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। लेकिन सिद्धू ने हाईकमान को जोर का झटका पिछले महीने तब दिया, जब उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। इससे हाईकमान की ख़ासी किरकिरी हुई और साथ ही अमरिंदर सिंह ने भी पार्टी से पूरी तरह किनारा कर लिया।
कांग्रेस नहीं चाहती कि पंजाब उसके हाथ से निकल जाए, इसलिए वह काफी फूंक-फूंक कर क़दम रख रही है और सिद्धू की तमाम हरक़तों को नज़रअंदाज करने के लिए भी मजबूर है।
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