पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से मज़दूरों के हक के लिए काम करने वाली दलित कार्यकर्ता नवदीप कौर को ज़मानत मिलने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया। वह क़रीब डेढ़ महीने तक हरियाणा के करनाल जेल में रहीं। नवदीप ने हिरासत में यौन हिंसा का आरोप लगाया था जिसे अधिकारियों ने खारिज कर दिया है। जेल से रिहा होने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि वह किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली की सीमा पर सिंघू बॉर्डर जाएँगी।
23 साल की नवदीप कौर को बीती 12 जनवरी को हरियाणा के कुंडली औद्योगिक इलाक़े में एक कंपनी के बाहर प्रदर्शन करने के बाद हिरासत में ले लिया गया था। नवदीप मजूदरों को मिलने वाले दिहाड़ी में गड़बड़ियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही थीं। इसके बाद उन पर हत्या के प्रयास, रंगदारी मांगने और अन्य धाराओं में मुक़दमा दर्ज कर लिया गया। नवदीप मज़दूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं।
हाल में नवदीप की रिहाई की मांग के लिए ट्विटर पर हैशटैग NodeepKaur नाम से अभियान चलाया गया। नवदीप की जमानत याचिका को दो बार खारिज किया जा चुका है।
नवदीप की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि नवदीप के ख़िलाफ़ पैसे की वसूली और धमकियों से जुड़ी दो एफ़आईआर दर्ज हैं। उन्होंने कहा था कि इतने गंभीर मामलों को देखते हुए नवदीप को जमानत नहीं दी जा सकती, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
इसके बाद इस मामले में हाई कोर्ट में अपील की गई। कोर्ट ने बुधवार को यह कहते हुए उनके मामले को स्थगित कर दिया था कि उनकी सभी मेडिकल रिपोर्ट राज्य द्वारा रिकॉर्ड में नहीं रखी गई थीं। अदालत ने पहले उनके 'अवैध कारावास' पर मुक़दमा दायर किया था।
पुलिस उत्पीड़न का जैसा आरोप नवदीप ने लगाया वैसा ही आरोप इस मामले में सह आरोपी रहे शिव कुमार ने भी लगाया है। शिव कुमार के मामले में चोट लगने की पुष्टि भी हुई है।
सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल यानी जीएमसीएच चंडीगढ़ ने शिव कुमार की जाँच रिपोर्ट दी है। उसमें दो फ्रैक्चर की बात सामने आई है। 19 फ़रवरी को अदालत ने सोनीपत जेल के एसपी को निर्देश दिया था कि शिव कुमार को जीएमसीएच में जाँच करवाएँ। कोर्ट का यह निर्देश शिव कुमार के पिता राजबीर की याचिका पर आया था। उन्होंने अदालत को बताया था कि शिव कुमार का 'पुलिस उत्पीड़न' हुआ था।
बता दें कि नवदीप अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को खारिज करती रही हैं। नवदीप की बहन राजवीर कौर ने भी ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में कहा कि उनकी बहन के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप पूरी तरह ग़लत हैं। उन्होंने कहा था, ‘नवदीप सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में बीते नवंबर में ही शामिल हो गई थी। वह उन मज़दूरों के लिए लड़ रही थी जिन्हें नियमित तौर पर मज़दूरी नहीं मिलती। 12 जनवरी को प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया था। उसने मुझे बताया कि हिरासत में रहने के दौरान पुलिस ने उस पर हमला भी किया।’
हालांकि सोनीपत पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा था कि पुलिस हिरासत में उत्पीड़न की बातें मनगढ़ंत हैं। पुलिस ने कहा है कि नवदीप को महिला वेटिंग रूम में रखा गया और उसके साथ दो महिला पुलिस कर्मी भी थीं।
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