पंजाब की भगवंत मान सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि पंजाब में विधायकों को बस अब एक टर्म की पेंशन मिलेगी। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि कोई शख्स चाहे दो बार जीते, पांच बार जीते या सात बार जीते लेकिन उसे पेंशन सिर्फ एक बार की ही मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले से करोड़ों रुपया बचेगा और यह लोगों की भलाई में काम आएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतनी ज्यादा पेंशन किसी भी तरह जायज नहीं है।
फैमिली पेंशन में होगी कटौती
भगवंत मान ने कहा कि इसी तरह पूर्व विधायकों को जो फैमिली पेंशन मिलती थी उसमें भी कटौती करने के लिए उन्होंने अफसरों को आदेश दे दिए हैं और आने वाले दिनों में इसकी पूरी जानकारी लोगों को मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश पंजाब के खजाने के एक-एक पैसे को बचाने की है और इसे लोगों की भलाई के लिए खर्च किया जाएगा।
एक विधायक को पेंशन के तौर पर 75000 रुपए हर महीने मिलते हैं। इसके अलावा पेंशन की राशि का 66 फ़ीसदी पैसा हर बार विधायक बनने पर इसमें जुड़ता जाता है। पंजाब में इस वक्त 250 से ज्यादा विधायक पेंशन ले रहे हैं।
भगवंत मान ने कहा कि हमारे नेता और विधायक आपसे सेवा करने के लिए एक मौका मांगते हैं लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कई विधायक जो तीन बार, चार बार या पांच बार जीत चुके हैं और अगर उसके बाद चुनाव हार भी जाते हैं या उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो उन्हें पेंशन के रूप में हर महीने लाखों रुपए मिलते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी को साढ़े तीन लाख तो किसी को साढ़े चार लाख और किसी को सवा पांच लाख रुपए पेंशन मिल रही है। इससे राज्य पर करोड़ों रुपए का वित्तीय बोझ पड़ रहा है।
कई बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके शिरोमणि अकाली दल के संस्थापक प्रकाश सिंह बादल ने कुछ दिन पहले फैसला लिया था कि वह अब पेंशन नहीं लेंगे। बादल को हर महीने 5 लाख रुपए से ज्यादा की पेंशन मिलती थी।
स्वागत व विरोध दोनों
कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रगट सिंह ने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।
लेकिन पूर्व कांग्रेस विधायक कुलदीप वैद्य ने कहा है कि आप सरकार गलत तथ्य पेश कर रही है। उन्होंने कहा है कि आम आदमी पार्टी सरकार का कहना है कि अगर कोई नेता पांच बार विधायक बनता है तो उसे 5 पेंशन मिलती है लेकिन ऐसा नहीं होता है और सिर्फ इंक्रीमेंट दिया जाता है। इसलिए वह राज्य सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं हैं।
शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब सरकार के पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने भी फैसले का स्वागत किया है।
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