क्या फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) जल्द ही पाकिस्तान को काली सूची में डाल देगा और उसके बाद विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम जैसी वित्तीय संस्थाएँ पाकिस्तान को मदद करना बंद कर देंगी? क्या मूडीज़, स्टैंडर्ड एंड पूअर और फ़िच जैसी रेटिंग एजेन्सियाँ पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग कम कर देंगी और उसके बाद निजी कंपनियाँ भी वहाँ निवेश करने से कतराने लगेंगी? यह इस पर निर्भर करता है कि भारत की ओर से एफ़एटीएफ़ को दिए डोज़ियर में सबूत कितने पुख़्ता हैं और पाकिस्तान के जवाब से यह संगठन कितना संतुष्ट होगा।
एफ़एटीएफ़ के पेरिस मुख्यालय में बैठक शुरू हो चुकी है, भारत ने अपने प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है और वह मंगलवार तक अपना डोज़ियर पेश कर देगा। पाकिस्तान के लिए मुसीबत का सबब इसलिए भी है कि वह पहले से ही 'ग्रे लिस्ट' में है, यानी उस पर जो आरोप लगे हैं, एफ़एटीएफ़ ने उस पर जवाब माँगा है, उस पर निगरानी रख रहा है। पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक़, जून में पाकिस्तान की रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा कर उस पर अपना फ़ैसला सुनाया जाना तय था। इस बीच पुलवामा में आतंकवादी हमला हो गया और पाकिस्तानी गुट जैश-ए-मुहम्मद ने ब़क़ायदा वीडियो जारी कर इसकी ज़िम्मेदारी ली है।