कहा जा रहा है कि अजित पवार के साथ केवल 14 ही विधायक है जिसमें से नौ मंत्री बन गये हैं और शरद पवार ने साफ इशारा दे दिया है कि 23 जुलाई से होने वाले सत्र में दिख जायेगा कि 40 से ज्यादा विधायक अब भी शरद पवार के पास है। तब खेल एकदम से पलट जायेगा। इस एक वार से पवार ने जहां एक तरफ अपने भतीजे को एक्सपोज करते हुए बेटी सुप्रिया की राह एकदम साफ कर दी है क्योंकि अब न तो कार्याध्य़क्ष प्रफुल्ल पटेल रहेंगे ना अजित पवार और ना ही ओबीसी के चेहरे छगन भुजबल। यही कारण है कि शायद प्रफुल्ल पटेल के सबसे करीबी और केस में फंसे होकर भी अनिल देशमुख उनके साथ नही गये और पटेल की ही उपज नरेंद्र वर्मा भी खिलाफ में बोल रहे हैं।