जबरदस्त राजनीति
इंडियन एक्सप्रेस का सूत्रों के हवाले से कहना है कि अवधेश प्रसाद के नाम का प्रस्ताव टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया है। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, शिव सेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और आम आदमी पार्टी (आप) और डीएमके ने भी प्रस्ताव का समर्थन कर दिया।कांग्रेस के बाद लोकसभा में सपा ऐसी दूसरी पार्टी है, जिसके सबसे ज्यादा सांसद हैं। इसीलिए इस पर सपा का ही दावा बनता था। हालांकि अभी भाजपा की ओर से इस पद के लिए किसी नाम का प्रस्ताव नहीं है। लेकिन विपक्ष ने अपनी एकजुटता दिखाते हुए अपने प्रत्याशी का चयन पहले ही कर लिया है। अवधेश प्रसाद के चयन से भाजपा काफी परेशानी महसूस कर रही है।
पिछले हफ्ते विपक्ष इसी तरह लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के के सुरेश के समर्थन में लामबंद हुआ था। जिससे इस पद के लिए चुनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। अब विपक्ष डिप्टी स्पीकर पद के लिए भी वही तरीका अपना रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल, 2019 से 2024 के दौरान लोकसभा डिप्टी स्पीकर पद खाली रखा था। लोकसभा स्पीकर के चयन के समय विपक्ष ने सत्ता पक्ष के सामने प्रस्ताव रखा था कि वो स्पीकर पद के लिए भाजपा का समर्थन कर सकता है, बशर्ते भाजपा डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को सौंपे। लेकिन भाजपा ने इसके लिए मना कर दिया।
विपक्ष ने स्पीकर प्रत्याशी के. सुरेश के जरिए बड़ा राजनीतिक संदेश दिया कि मोदी सरकार राजनीतिक रूप से उदार नहीं है। और वो भी तब जब उसके पास लोकसभा में अपना बहुमत नहीं है। उसकी सरकार दूसरे सहयोगी दलों की बैसाखियों पर टिकी हुई है। अब यही दांव अवधेश प्रसाद पर भी खेला गया है। विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि भाजपा "संविधान बदल सकती है" और दलितों का आरक्षण छीन सकती है। ऐसे में भाजपा अवधेश प्रसाद की उम्मीदवारी का विरोध किस तरह करेगी। जल्द ही तमाम राज्यों में कुछ उपचुनाव और दो राज्यों महाराष्ट्र-हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं। वहां तक इसका असर जाएगा ही।
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