केंद्र की सरकार की अगुवाई कर रहा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए लगातार सिकुड़ता जा रहा है। अब कोई भी बड़ा राजनीतिक दल एनडीए के साथ नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या एनडीए सिर्फ छोटे दलों का ही गठबंधन रह जाएगा और इसके कमजोर होने से क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सत्ता में वापसी की संभावनाओं पर भी असर पड़ेगा।
सिकुड़ता जा रहा है एनडीए, बड़े दलों ने छोड़ा साथ
- राजनीति
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- 10 Aug, 2022
निश्चित रूप से एनडीए के कमजोर होने का असर साल 2024 के लोकसभा चुनाव में जरूर हो सकता है क्योंकि नीतीश कुमार के आने से विपक्ष को मजबूती मिली है।

बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने 1998 में की थी। 1998 में 13 महीने तक और उसके बाद 1999 में 5 साल तक एनडीए के नेतृत्व में देश में सरकार चली थी।
साल 2004 से 2014 तक लालकृष्ण आडवाणी एनडीए की कमान संभालते रहे थे और उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एनडीए का चेयरमैन बनाया गया था।