यूपी के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य ने कहा है कि वह अपने पिता के खिलाफ चुनाव प्रचार नहीं करेंगी। इसके अलावा राज्य में कहीं भी पार्टी के लिए प्रचार को तैयार हैं। हालांकि उन्होंने पहले कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके लिए एक पिता के समान हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वह "पार्टी के इशारे पर भी" अपने पिता के खिलाफ प्रचार नहीं करेंगी।
योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रहे और बीजेपी के बड़े नेताओं में से एक, स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में बीजेपी छोड़ दी थी। वह अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। उनके पडरौना से चुनाव लड़ने की संभावना है।
बदायूं से बीजेपी की पहली बार सांसद बनीं संघमित्रा मौर्य ने एक इंटरव्यू में एनडीटीवी को बताया कि उनके पिता ने यह कदम उठाने से पहले उनसे इस मामले पर चर्चा नहीं की थी। लेकिन उन पर बीजेपी छोड़ने का भी कोई दबाव नहीं है। 37 साल की संघमित्रा ने 2019 में समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव को हराकर सीट जीती थी।
संघमित्रा मौर्य ने कहा, "मुझ पर बीजेपी छोड़ने का दबाव नहीं है। मैं बीजेपी के साथ हूं और रहूंगी।"
स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य के साथ
उन्होंने कहा, "पारिवारिक जीवन और राजनीतिक जीवन पूरी तरह से अलग है।" उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "मैं पूरे राज्य में बीजेपी के लिए प्रचार करूंगी... लेकिन पार्टी के कहने पर भी मैं अपने पिता के खिलाफ प्रचार नहीं करूंगी।" यह पूछे जाने पर कि क्या यह स्थिति उनके और पार्टी के लिए समस्याएं नहीं खड़ी करेगी, उन्होंने कहा कि अभी तक पार्टी ने उनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है। संघमित्रा ने कहा, "मेरे पिता समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं, जो पीछे छूट गए लोगों (ओबीसी, दलित) की स्थिति में सुधार करने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं ... मुझे वही विचारधारा विरासत में मिली है। लेकिन मुझे लगता है कि यह काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भी किया जा सकता है।"
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा -
अपने पिता के इस दावे पर कि बीजेपी में पिछड़ों और दलितों के लिए कोई सम्मान नहीं है, उन्होंने कहा कि मामला पीएम मोदी तक पहुंच गया है और वह इसका समाधान निकालेंगे।
विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बदायूं जिले और आसपास के सभी छह सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी छोड़ने के बाद यूपी में ओबीसी राजनीति के समीकरण बदल गए हैं। उनके सपा में जाने से बीजेपी को काफी नुकसान हुआ है। बीजेपी चाहकर भी संघमित्रा के खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाने की स्थिति में नहीं है।
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