अपने देश भारत में सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों के लिए महात्मा गाँधी के राजनीतिक दर्शन को अपनी राजनीति का आधार बताना फ़ैशन है। कांग्रेस, बीजेपी और ग़ैर-कांग्रेस सरकारें इस देश में राज कर चुकी हैं। इंदिरा गाँधी के समय में तो कांग्रेस भी गाँधीवाद के रास्ते से बिछड़ गई थी। आरएसएस ने तो ख़ैर गाँधी को कभी अपना नहीं माना। लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं, महात्मा गाँधी, सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को अपनाने का सत्ताधारी पार्टी की तरफ़ से अभियान चल रहा है। इस बात की पड़ताल करना ज़रूरी है कि क्या बीजेपी महात्मा गाँधी को अपना बना पायेगी।