1977 के लोकसभा चुनाव के बाद एक शख़्स इंदिरा गाँधी को लेकर बहुत चिंतित था। यह वही शख़्स था जिसने केंद्र में कांग्रेस के तीस साल के अनवरत शासन के अंत की पटकथा लिखी थी यानी जयप्रकाश नारायण। उनकी चिंता थी कि उनके बड़े भाई जैसे जवाहरलाल नेहरू की बेटी और उनकी भतीजी इंदु अब घर ख़र्च कैसे चलायेगी। उन्हें पता था कि नेहरू-गाँधी परिवार ने अपनी सारी सम्पत्ति देश के नाम कर दी है। इंदिरा गाँधी से बदला लेने को आतुर जनता पार्टी के तमाम नेताओं को उन्होंने आगाह किया और इंदिरा गाँधी से मिलने उनके घर गये।
जेपी को इंदिरा के घर-खर्च की चिंता थी तो कैसा विरासत टैक्स बचाना चाहते थे राजीव?
- विचार
- |
- |
- 26 Apr, 2024

नेहरू जी के पास न घर बचा था और न नकदी। यही हाल इंदिरा गाँधी का भी था। उनके पास जो सोने-चाँदी के आभूषण थे, वह सभी उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय राष्ट्रीय रक्षा कोष में दान कर दिया था। तो फिर विरासत टैक्स को लेकर हमला क्यों?
इस मुलाक़ात के बारे में 2017 में बीबीसी हिंदी वेबसाइट में एक लेख छपा था जो अभी भी देखा जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क़रीबी और मौजूदा समय में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, दिल्ली के निदेशक, वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने इस मुलाक़ात के बारे में बीबीसी को बताया था, “जे.पी. ने इंदिरा से पूछा कि अब तुम प्रधानमंत्री नहीं हो तो तुम्हारा ख़र्च कैसे चलेगा? इंदिरा ने जवाब दिया कि नेहरू जी की पुस्तकों की रॉयल्टी से उनका जीवन यापन हो जायेगा।”