चुनावों के दौरान सत्तारुढ़ और विपक्षी दलों के बीच भयंकर कटुता का माहौल तो अक्सर हो ही जाता है लेकिन इधर पिछले कुछ वर्षों में हमारी राजनीति का स्तर काफ़ी नीचे गिरता नज़र आ रहा है। केंद्र सरकार के आयकर-विभाग ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर छापे मार दिए हैं और उनमें से कुछ को गिरफ्तार भी कर लिया है। तृणमूल के ये नेतागण शारदा घोटाले में पहले ही कुख्यात हो चुके थे। इन पर मुकदमे भी चल रहे हैं और इन्हें पार्टी-निकाला भी दे दिया गया था लेकिन चुनावों के दौरान इनको लेकर ख़बरें उछलवाने का उद्देश्य क्या है?
विपक्षी नेताओं पर छापे: ग़लत मौक़े पर सही कार्रवाई?
- विचार
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- 5 Apr, 2021

पिछले कुछ वर्षों में हमारी राजनीति का स्तर काफ़ी नीचे गिरता नज़र आ रहा है। चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाइयों से आम जनता पर क्या अच्छा असर पड़ता है? शायद नहीं। ग़लत मौक़े पर की गई सही कार्रवाई का असर भी उल्टा ही हो जाता है।
क्या यह नहीं कि अपने विरोधियों को जैस-तैसे भी बदनाम करवाकर चुनाव में हरवाना है?