क्या आपको उत्तर प्रदेश में पंचायत और स्थानीय निकाय के चुनावों के बाद की हिंसा और उसमें हुई हत्याओं के बारे में कुछ मालूम है? अगर नहीं तो क्यों, यह आपको पूछना चाहिए। वे तमाम अख़बार और जन संचार माध्यम जो बंगाल की हिंसा को पहली ख़बर बना रहे थे, उत्तर प्रदेश में चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा को इस लायक क्यों नहीं मानते कि जनता को उसकी सूचना भी दी जाए? उत्तर प्रदेश से निकलनेवाले अख़बार भी?
उत्तर प्रदेश में भी हिंसा लेकिन कोई चर्चा नहीं
- विचार
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- 8 May, 2021

उत्तर प्रदेश में अलग-अलग प्रकार के अपराध और हिंसा की घटनाएँ किसी राज्य से कम नहीं बल्कि इस मामले में वह हर प्रकार की हिंसा में अगली पंक्ति में पाया जाता है। इसलिए चुनाव के बाद हिंसा आश्चर्यजनक नहीं।
बंगाल में विधान सभा के चुनाव के नतीजों के बाद भड़की हिंसा की ठीक ही चतुर्दिक उसकी निंदा हुई। हालाँकि उस हिंसा में मारे जानेवालों में विजयी दल तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी और इंडियन सेक्युलर फ्रंट से संबद्ध लोग शामिल थे, यानी यह एकतरफ़ा हिंसा न थी , फिर भी ठीक ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हिंसा रोकने के लिए सब ने कहा। यह हिंसा चुनावी हिंसा का ही प्रसार था, जानने के बावजूद केंद्र ने कुछ ऐसा रुख लिया मानो असाधारण हिंसा हो रही हो और उसने राज्य सरकार से रिपोर्ट माँगी और अपना एक जाँच दल भेजा।