बाबर बर्बर आइके, कर लीन्हें कर वाल।
नामवर सिंह ने पकड़ा था मंदिर विध्वंस बताते ‘तुलसी दोहाशतक’ का फ़र्ज़ीवाड़ा
- विचार
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- 29 Mar, 2025

व्हाट्सऐप पर क्यों फैलाया जा रहा है कि रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास ने राममंदिर गिराकर बाबरी मस्जिद गिराये जाने से व्यथित होकर दोहे लिखे थे जो ‘ तुलसी दोहा शतक’ में संग्रहीत हैं? जानिए, इस दोहे का सच!
हरे पचारि पचारि जन, कुलसी काल कराल।।
दल्यौ मीर बाकी अवध, मंदिर राज-समाज
तुलसी रोवत हृदय हति, त्राहि-त्राहि रघुराज।।
राम-जनम मंदिर जहाँ, लसत अवध के बीच
तुलसी रची मसीत तहं मीर बाकि खल नीच।।
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए बनाये जा रहे माहौल के बीच ये पंक्तियाँ व्हाट्सऐप पर एक बार फिर बड़े पैमाने पर प्रचारित की जा रही हैं। दावा है कि रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास ने राममंदिर गिराकर बाबरी मस्जिद बनाये जाने से व्यथित होकर ये दोहे लिखे थे जो ‘ तुलसी दोहा शतक’ में संग्रहीत हैं। यह उस सवाल का जवाब था कि अगर बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनायी तो बाबर के पौत्र अकबर के शासनकाल में हुए तुलसीदास ने इस संबंध में कुछ लिखा क्यों नहीं? उल्टा उन्होंने संस्कृत की जगह अवधी में मानस लिखने पर हो रही आलोचना का जवाब ये कहते हुए दिया कि-
धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूत कहौ, जोलहा कहौ कोऊ।काहू की बेटी सों बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगार न सोऊ।तुलसी सरनाम गुलाम हैं राम को, जाको रुचै सो कहै कुछ ओऊ।माँगि के खाइबो, मसीत को सोइबो, लैबो का एक न दैबो को दोऊ।।(कवितावली)