पूर्व केंद्रीय क़ानून मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने यह कहकर एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है कि देश में अगर राजनैतिक दल बदल को प्रभावी ढंग से रोकना है तो भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में पर्याप्त संशोधन कर यह क़ानून बनाना चाहिए कि जिस भी विधायक या सांसद को दल बदल क़ानून के अंतर्गत अयोग्य घोषित किया जाता है तो उसकी किसी भी सार्वजनिक पद पर अगले 5 साल तक नियुक्ति नहीं हो। इसके अलावा वह अगले पाँच साल तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं ले सके।
प्रजातंत्र को बचाना है तो जल्द दल-बदल रोकने के लिए क़ानूनी वैक्सीन ढूंढनी होगी!
- विचार
- |
- अनिल कर्णवाल
- |
- 22 Jul, 2020

अनिल कर्णवाल
हमें देश में संसदीय प्रजातंत्र को क़ायम रखना है तो यह प्रावधान लागू करना होगा कि यदि कोई विधायक या सांसद दल बदल विरोधी क़ानून के अंतर्गत अयोग्य घोषित होता है तो उसकी अगले 5 वर्षों तक नियुक्ति नहीं होनी चाहिये।
2014 से केंद्र की मोदी सरकार पर राज्यों की कांग्रेस की सरकारों को चुराने का आरोप लगता रहा है। पूरे देश की जनता ने देखा कि किस प्रकार से कांग्रेसी विधायकों की ख़रीदारी के बल पर गोवा, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, कर्नाटक या मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अपनी सरकारें बनाई हैं। यह बात अलग है कि 'ख़रीदारी' के साक्ष्य आम जनता द्वारा ढूँढना लगभग असंभव ही है।