सुबह ही मेरे एक मित्र विजय जैन, जो कि 43 सालों से सुप्रीम कोर्ट में वकील के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं, ने एक ऐसा प्रश्न किया जिसने मुझे झकझोर कर रख दिया। प्रश्न बहुत ही सीधा व सरल था लेकिन उसकी गहराई देखो तो यह बड़ी ही गंभीर बात है।