कोरोना वायरस की महाआपदा ने देश की न्यायिक व्यवस्था को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया है। भले ही अभी इस तरफ़ बहुत कम लोगों का ध्यान गया है लेकिन आने वाले समय में इस क्षेत्र में आपको व्यापक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। क्या कभी किसी ने परिकल्पना भी की थी कि देश की न्यायिक प्रणाली में कोई ऐसा भी समय आ सकता है, जब देश में न्यायिक प्रशासन की व्यवस्था देश के अदालतों के परिसरों में न होकर वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से नियंत्रित होगी।
क्या कोरोना संकट के बाद भी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से होगी अदालतों में मामलों की सुनवाई?
- विचार
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- 8 Apr, 2020

कोरोना वायरस की महाआपदा ने देश की न्यायिक व्यवस्था को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया है। भले ही अभी इस तरफ़ बहुत कम लोगों का ध्यान गया है लेकिन आने वाले समय में इस क्षेत्र में आपको व्यापक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध केसों की सुनवाई ही न हो तथा सिर्फ़ अति आवश्यक केसों की सुनवाई के अलावा सभी केसों की सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई हो। कोरोना के कारण 13 मार्च 2020 के नोटिस के बाद, न केवल सुप्रीम कोर्ट परिसर में वकील, कोर्ट स्टाफ़, वादियों के प्रवेश पर अंकुश लग गया, बल्कि 16 मार्च 2020 से सुप्रीम कोर्ट में सभी केसों की सुनवाई भी अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई है। सुप्रीम कोर्ट परिसर के हाई सिक्योरिटी ज़ोन में प्रवेश के लिए, वकीलों, उनके स्टाफ़ व कोर्ट स्टाफ़ को दिए गए सभी इलेक्ट्रॉनिक प्रॉक्सिमिटी कार्ड को भी अगले आदेश तक निलंबित कर दिया गया है।