सर्वोच्च न्यायालय ने देश की महिलाओं के पक्ष में एक ऐतिहासिक फ़ैसला कर दिया है। उसने भारत की फौज में महिलाओं को पक्की नौकरियाँ देने का प्रावधान कर दिया है।
फौज में महिलाओं को इतनी देरी से मौक़ा क्यों?
- विचार
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- 27 Mar, 2021

इतिहास गवाह है कि महिलाओं ने जब भी कोई ज़िम्मेदारी संभाली है, उन्होंने कई बार पुरुषों से भी कहीं अधिक चमत्कारी परिणाम लाकर दिखाए हैं। क्या हम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करिश्मे को भुला सकते हैं? महारानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, अहिल्याबाई, रजिया सुल्तान, गोल्डा मीयर, मार्गेरेट थेचर, थेरेसा मे, बेनजीर भुट्टो, शेख हसीना की क्षमता से क्या अपरिचित हैं?
अब तक फौज में महिलाओं को अस्थायी या कच्ची नौकरियाँ ही मिलती थीं। यानी उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा 14 साल तक काम करने की इजाजत ही मिलती थी। लेकिन अब वे बाकायदा अन्य पुरुष फौजियों की तरह सेवा-निवृत्त होंगी और उन्हें पेंशन भी मिला करेगी। इतना ही नहीं, अस्थायी या कच्ची नौकरी में उन्हें वास्तविक फौजी ज़िम्मेदारी नहीं दी जाती थी। वे न तो युद्ध लड़ सकती थीं और न ही फौज के किसी ऊँचे पद पर रह सकती थीं।