12 जुलाई की रात को साक्षी मिश्रा का पहला वीडियो सोशल मीडिया पर देखते ही जब मैंने इसे अपनी फ़ेसबुक वॉल पर साझा किया तो मेरे दिमाग में दो डर थे। पहला कहीं यह वीडियो फ़ेक तो नहीं है और दूसरा कि अगर यह वीडियो सच है तो इस स्टोरी के पब्लिक में आने के बाद इस कहानी का क्या बनेगा?

साक्षी मिश्रा और उनके दलित पति अजितेश के एंगल से कहानी को समझें तो यह साफ़ हो जाता है कि दोनों का ही मक़सद ख़ुद को किसी अनहोनी से बचा कर सुरक्षित ढंग से अपने प्रेम विवाह को जीने का है। साक्षी मिश्रा की कहानी में आख़िर मेरा-आपका रोल क्या है?
दरअसल, साक्षी मिश्रा की इस कहानी में समाज की दिलचस्पी के वे सारे एंगल मौजूद हैं जो न्यूज़ की शक्ल में एंटरटेनमेंट देखने-दिखाने के आदी लोगों के लिये भरपूर खुराक उपलब्ध करा रहे हैं। जबकि कथित नवविवाहित जोड़े की मजबूरी यह है कि अपनी जान बचाने के लिये या सीधे कहें तो ऑनर किलिंग जैसी वारदातों से बचने के लिये उन्होंने मीडिया में अपनी कहानी कहने का जोख़िम उठाया है। इसलिये टीवी चैनलों पर यह कहानी लगातार चल रही है और सोशल मीडिया पर इस मसले से जुड़े वैचारिक-भावनात्मक संवेगों का ज्वार आ गया है।