“आरएसएस के नेता ने आश्वासन दिया है कि आरएसएस के संविधान में, भारत के संविधान और राष्ट्रध्वज के प्रति निष्ठा को और सुस्पष्ट कर दिया जाएगा। यह भी स्पष्ट कर दिया जाएगा कि हिंसा करने या हिंसा में विश्वास करने वाला या गुप्त तरीक़ों से काम करनेवाले लोगों को संघ में नहीं रखा जाएगा। आरएसएस के नेता ने यह भी स्पष्ट किया है कि संविधान जनवादी तरीक़े से तैयार किया जाएगा। विशेष रूप से, सरसंघ चालक को व्यवहारत: चुना जाएगा। संघ का कोई सदस्य बिना प्रतिज्ञा तोड़े किसी भी समय संघ छोड़ सकेगा और नाबालिग अपने मां-बाप की आज्ञा से ही संघ में प्रवेश पा सकेंगे। अभिभावक अपने बच्चों को संघ-अधिकारियों के पास लिखित प्रार्थना करने पर संघ से हटा सकेंगे। ...इस स्पष्टीकरण को देखते हुए भारत सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि आरएसएस को मौक़ा दिया जाना चाहिए।”
‘हिंदू राष्ट्र’ की बात आज़ादी के नायकों के सपनों की हत्या है
- विचार
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- 26 Jan, 2023

बार-बार हिंदू राष्ट्र का नारा क्यों लगाया जाता है? क्या देश की आज़ादी में कुर्बानी देने वाले महापुरुषों ने कभी सपने में भी 'हिंदू राष्ट्र' की बात सोची होगी?
यह 11 जुलाई 1949 को प्रतिबंध हटाने का एलान करने वाली भारत सरकार की विज्ञप्ति है। इससे पता चलता है कि महात्मा गाँधी की हत्या के बाद लगे बैन को हटवाने के लिए क्या-क्या वायदे किये थे। इस संबंध में सरसंघ चालक गोलवलकर और श्यामा प्रासद मुखर्जी की सरदार पटेल से लगातार बात हो रही थी जो इन सूचनाओं से बेहद आहत थे कि महात्मा गाँधी की हत्या के बाद आरएसएस के लोगों ने जगह-जगह मिठाई बाँटी। बहरहाल, उनका मानना था कि हिंदू महासभा के एक ग्रुप ने महात्मा गाँधी की हत्या को अंजाम दिया है और पूरी आरएसएस को इसकी सज़ा नहीं दी जानी चाहिए, हालाँकि उसकी हिंसक गतिविधियाँ ख़तरनाक़ हैं।