संघ प्रमुख मोहन भागवत अगर एक लम्बे समय से सिर्फ़ एक बात दोहरा रहे हैं कि हिंदुओं को ताक़तवर बनने (या उन्हें बनाए जाने) की ज़रूरत है तो इसे एक गम्भीर राष्ट्रीय मुद्दा मान लिया जाना चाहिए। भागवत लगातार चिंता जता रहे हैं कि हिंदुओं की संख्या और शक्ति कम हो गई है। उनमें हिंदुत्व का भाव कम हो गया है।
क्या भागवत हिंदुओं को (अहिंसक) उग्रवादी बनाना चाहते हैं?
- विचार
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- 3 Dec, 2021

क्या राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिन्दू जन्म दर के बहाने मुसलमानों को निशाने पर लेने की रणनीति पर चल रहे हैं?
गोडसे के महिमा-मंडन के कारण ज़्यादा चर्चित ग्वालियर के एक कार्यक्रम में भागवत ने पिछले दिनों कहा कि हिंदू को हिंदू रहना है तो भारत को अखंड रहना ही पड़ेगा। अगर भारत को भारत रहना है तो हिंदू को हिंदू रहना ही पड़ेगा।
इसके पूर्व विजयदशमी के अपने पारम्परिक उद्बोधन में भागवत ने देश का ध्यान इस ओर खींचा था कि "वर्ष 1951 से 2011 के बीच देश की जनसंख्या में जहां भारत में उत्पन्न मतपंथों के अनुयायियों का अनुपात 88 प्रतिशत से घटकर 83.8 प्रतिशत रह गया है, वहीं मुसलिम जनसंख्या का अनुपात 9.8 प्रतिशत से बढ़कर 14.23 प्रतिशत हो गया है।"