हर विजयदशमी को यानी दशहरे के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया नागपुर में विशेष व्याख्यान देते हैं, क्योंकि इस दिन संघ का जन्म-दिवस मनाया जाता है। इस बार संघ-प्रमुख मोहन भागवत का भाषण मैंने टीवी चैनलों पर देखा और सुना। सबसे पहले तो मैं इस बात से प्रभावित हुआ कि उनकी भाषा यानी हिंदी इतनी शुद्ध और सारगर्भित थी कि दिल्ली में तो ऐसी आकर्षक हिंदी सुनने में भी नहीं आती और वह भी तब जबकि ख़ुद मोहनजी हिंदीभाषी नहीं हैं। वे मराठीभाषी हैं।
भागवत नौकरी से अंग्रेज़ी हटाने पर क्यों नहीं बोले?
- विचार
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- 27 Oct, 2020

मोहन भागवत के इस विचार का विरोध कौन कर सकता है कि भारत में बंधुत्व ही सच्चा हिंदुत्व है। यह विचार इतना उदार, इतना लचीला और इतना संविधानसम्मत है कि इसे सभी जातियों, सभी पंथों, सभी संप्रदायों, सभी भाषाओं के लोग मानेंगे। हिंदुत्व की जो संकीर्ण परिभाषा पहले की जाती थी और जो अब तक समझी जा रही है, उस छोटी लकीर के ऊपर मोहनजी ने एक लंबी लकीर खींच दी है।