कोई सवा साल पहले जब दशकों पुराने अयोध्या विवाद का जैसे-तैसे अदालती निबटारा हुआ था यानी नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया था तो यह माना गया था कि अब इसको लेकर देश में किसी तरह का दंगा-फसाद नहीं होगा। देश के मुसलमानों ने भी देश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश का एहतराम किया था। इसलिए माना गया कि अयोध्या की विवादित ज़मीन पर राम मंदिर का निर्माण करने में अब किसी तरह की बाधा नहीं है।

राम मंदिर निर्माण के मसले पर संघ, बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं लगते हैं। राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए देश में चंदा उगाही के कार्यक्रम के दौरान जिस तरह की घटनायें हुईं, वे क्या दर्शाती हैं?
सचमुच, मंदिर निर्माण में अब कोई बाधा नहीं है, लेकिन लगता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिंदू परिषद अभी भी इस मसले पर पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं। उनका मक़सद मंदिर बनाने से ज़्यादा इस मसले पर अपनी विभाजनकारी राजनीति करना है। वे अभी भी इस मामले को अपने राजनीतिक एजेंडा के तौर पर इस्तेमाल करने यानी सांप्रदायिक नफरत और तनाव फैलाने का इरादा रखते हैं। कम से कम राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए देश में चंदा उगाही के कार्यक्रम के दौरान जिस तरह की घटनायें हुईं, उससे चिंता की लकीरें खिंचना लाज़िमी है।