राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखिया मोहन राव भागवत ने फरमाया है कि अगर कोई हिंदू है तो वह देशभक्त ही होगा, क्योंकि देशभक्ति उसके बुनियादी चरित्र और संस्कार का अभिन्न हिस्सा है। यह बात उन्होंने महात्मा गांधी को हिंदू राष्ट्रवादी बताने वाली एक किताब 'मेकिंग ऑफ़ ए हिंदू पैट्रीअट : बैक ग्राउंड ऑफ़ गांधीजी हिंद स्वराज’ का विमोचन करते हुए कही। किताब के नाम और मोहन भागवत के हाथों उसके विमोचन किए जाने से ही स्पष्ट है कि यह महात्मा गांधी को अपने हिसाब से परिभाषित करने की कोशिश है।

आरएसएस के मुखिया मोहन राव भागवत ने फरमाया है कि अगर कोई हिंदू है तो वह देशभक्त ही होगा, क्योंकि देशभक्ति उसके बुनियादी चरित्र और संस्कार का अभिन्न हिस्सा है। तो फिर नाथुराम गोडसे, सिख विरोधी दंगे में शामिल लोग कौन थे?
भागवत के बयान से यह भी साफ़ है कि वह सिर्फ़ देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त अपने संगठन के लोगों के देश भक्त होने का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर रहे हैं, बल्कि परोक्ष रूप से देश के अन्य सभी ग़ैर हिंदू समुदायों की देशभक्ति पर सवाल उठा कर उन्हें अपमानित और लांछित कर रहे हैं। उनके इस कथन का स्पष्ट निहितार्थ है कि कोई हिंदू है तो भारत विरोधी नहीं हो सकता, लेकिन कोई ग़ैर हिंदू ज़रूर भारत विरोधी हो सकता है।