राम जन्मभूमि मंदिर परिसर की ज़मीनों, इमारतों, चबूतरों, दुकानों और जायदादों का अधिग्रहण करके केंद्र सरकार ने अयोध्या विवाद को बरसों से चल रही मुक़दमेबाज़ी से मुक्त करके राष्ट्रीय समाधान का विषय बना दिया। बाबरी मसजिद इस क्षण मुसलमानों की नहीं है और शिलान्यास स्थल इस क्षण हिंदुओं का नहीं है। जो स्थगन आदेश इलाहाबाद हाइकोर्ट ने दे रखा था उसका भी अब कोई अस्तित्व नहीं। क़ानूनी स्थगन आदेश समाप्त हो चुका है लेकिन नैतिक स्थगन आदेश मौजूद है, जिसका पालन करते हुए सरकार ने यथास्थिति को बनाए रखने का वादा किया है।
राष्ट्र नहीं रहा तो फिर किस खूँटी पर टंगेगा हिंदुस्तान?
- विचार
- |
- |
- 7 Aug, 2020

आज ही के दिन यानी 7 अगस्त, 1935 को मध्य प्रदेश के धार ज़िले में जन्मे हिंदी पत्रकारिता जगत के पुरोधा राजेंद्र माथुर ने यह लेख तब लिखा था जब बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए रथयात्रा निकाली थी और उनकी गिरफ़्तारी की आशंका थी। तक़रीबन 29 साल पहले लिखा उनका यह लेख आज के हिंदुस्तान के लिये उतना ही प्रासंगिक है और देश को एक ख़तरे से आगाह कर रहा है कि अगर राष्ट्र ही नहीं बचा तो हिंदुत्व लेकर क्या करोगे। पढ़ें पूरा लेख...