हिंदी पत्रकारिता जगत के पुरोधा और सदी के महान संपादक के रूप में याद किए जाने वाले राजेंद्र माथुर की आज पुण्यतिथि है। पुण्यतिथि पर उनकी याद दिलाता यह लेख।
राजेंद्र माथुर पूरी ईमानदारी के साथ पूरे-पूरे लोकतांत्रिक संपादक थे। संपादकीय नीतियों को लेकर वरिष्ठ सहयोगियों को तो छोड़िये, टीम के कनिष्ठतम सदस्य की असहमति का भी वह सम्मान करते थे।
राम जन्मभूमि मंदिर परिसर की ज़मीनों, इमारतों, चबूतरों, दुकानों और जायदादों का अधिग्रहण करके केंद्र सरकार ने अयोध्या विवाद को बरसों से चल रही मुक़दमेबाज़ी से मुक्त करके राष्ट्रीय समाधान का विषय बना दिया।