सावरकर पर नए सिरे से बहस छिड़ गई है। उस प्रसंग में ऐतिहासिक तथ्य क्या थे यह तुरंत उजागर हो गया। यह जानने के लिए किसी नए शोध की ज़रूरत नहीं है कि गांधी के मशविरे पर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार को माफीनामे नहीं लिखे थे। इसलिए उस प्रसंग को आगे खींचने की आवश्यकता नहीं।