राहुल गांधी के लिए ज़रूरी कर दिया गया था कि देश की वर्तमान में हालत पर कोई भी नई टिप्पणी करने या पुरानी को दोहराने से पहले वे उस घोषित ‘इमरजेंसी’ को सार्वजनिक रूप से ज़लील करें जिसे इंदिरा गांधी ने कोई साढ़े चार दशक पूर्व देश पर थोपा था। राहुल गांधी ने सभी अपने-पराए विपक्षियों को भौचक्क करते हुए ऐसा करके दिखा भी दिया।
एक थी ‘घोषित इमरजेंसी’, एक है ‘अघोषित आपातकाल’!
- विचार
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- 7 Mar, 2021

जून 1975 में जब आपातकाल लगाया गया तब राहुल केवल पाँच साल के थे। उनके पिता राजीव गांधी विदेश से प्रशिक्षण लेकर लौटने के बाद उस एयर इंडिया का विमान चला रहे थे जिसे बेचने के लिए इस समय ख़रीदार तलाशे जा रहे हैं। राजीव की आज के जमाने के नेता-पुत्रों की तरह न तो राजनीति करने में कोई रुचि थी और न ही क्रिकेट की किसी सल्तनत पर क़ब्ज़ा करने में।
राहुल बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि देश इस समय ‘अघोषित आपातकाल’ से गुजर रहा है। राहुल ने बिना साँस रोके और पानी का घूँट पीए अर्थशास्त्री कौशिक बसु के साथ हुए इंटरव्यू में कह दिया कि उनकी दादी द्वारा 1975 में लगाई गई इमरजेंसी एक ग़लती थी। राहुल ने पाँच राज्यों में हो रहे चुनावों के ठीक पहले ऐसा कहकर अपने विरोधियों के लिए कुछ और नया सोचने का संकट पैदा कर दिया है।