सरकार अगर अचानक घोषणा कर दे कि परिस्थितियाँ अनुकूल होने तक अथवा किन्हीं अन्य कारणों से विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लिया जा रहा है और कृषि क्षेत्र के सम्बन्ध में सारी व्यवस्थाएँ पहले की तरह ही जारी रहेंगी तो आंदोलनकारी किसान और उनके संगठन आगे क्या करेंगे? महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर जमे हज़ारों किसान और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाक़ों में महापंचायतें आयोजित कर रहे आन्दोलनकारी जाट क्या सरकार की जय-जयकार करते हुए अपने ट्रैक्टरों के साथ घरों को लौट जाएँगे या फिर कुछ और भी हो सकता है?
मोदी स्टेडियम: नामकरण ही नहीं, पीछे के इरादे समझें!
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- 28 Feb, 2021

तीन महीने पहले प्रारम्भ हुए किसान आंदोलन के बाद से नागरिकों के स्तर पर भी ढेर सारे सवाल जुड़ गए हैं और लड़ाई के मुद्दे व्यापक हो गए हैं। इन सवालों में अधिकांश का सम्बन्ध देश में बढ़ते हुए एकतंत्रवाद के ख़तरे और लोकतंत्र के भविष्य से है।
राकेश टिकैत ने तो किसानों से अपने ट्रैक्टरों में ईंधन भरवाकर तैयार रहने को कहा है। उन्होंने 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली में प्रवेश कर संसद को घेरने की धमकी दी है।