सरकार अगर अचानक घोषणा कर दे कि परिस्थितियाँ अनुकूल होने तक अथवा किन्हीं अन्य कारणों से विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लिया जा रहा है और कृषि क्षेत्र के सम्बन्ध में सारी व्यवस्थाएँ पहले की तरह ही जारी रहेंगी तो आंदोलनकारी किसान और उनके संगठन आगे क्या करेंगे? महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर जमे हज़ारों किसान और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाक़ों में महापंचायतें आयोजित कर रहे आन्दोलनकारी जाट क्या सरकार की जय-जयकार करते हुए अपने ट्रैक्टरों के साथ घरों को लौट जाएँगे या फिर कुछ और भी हो सकता है?