सोशल मीडिया इस समय राहुल गाँधी के धान रोपने की तस्वीरों से भरा पड़ा है। हरियाणा के सोनीपत के एक गाँव में किसानों के साथ धान रोपते राहुल गाँधी की ये तस्वीरें सावनी घटाओं और रिमझिम फुहारों के बीच किसी ताज़ा बयार का अहसास कराती हुई तैर रही हैं। इसी के साथ राहुल गाँधी के प्रति प्यार का एक ज्वार भी देखा जा रहा है जो युवाओं से लेकर बुज़ुर्गों तक पर एक सा तारी है। महिलाएँ, ख़ासतौर पर लड़कियाँ खुलकर राहुल के प्रति अपने ‘आभासी प्रेम’ का खुला इज़हार कर रही हैं तो अरसे से कांग्रेस के विरोध में रहे लोग, जिनमें सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर वरिष्ठ पत्रकार तक शामिल हैं, राहुल को देश की एकमात्र उम्मीद बता रहे हैं। कुछ लोग तो उनमें गाँधी और जे.पी. की छवि भी देख रहे हैं जिसकी राजनीति के केंद्र में सत्ता नहीं देश है।
राहुल गांधी के धान रोपने के मायने!
- विचार
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- पंकज श्रीवास्तव
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- 10 Jul, 2023


पंकज श्रीवास्तव
राहुल गांधी की धान रोपने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर क्यों वायरल है और लोग इस पर टिप्पणियाँ क्यों कर रहे हैं? क्या राहुल गांधी की छवि बदली है या लोगों का उनके प्रति नज़रिया बदला है?
तो क्या राहुल ने इधर कुछ ऐसा किया है जो वे पहले नहीं करते थे? ‘नफ़रत के बाज़ार में मुहब्बत की दुकान’ खोलने से लेकर प्रतिबद्धता के केंद्र में किसान को लाने की उनकी मुहिम क्या पहले नहीं थी? कहीं ऐसा तो नहीं कि राहुल वही हैं, बस उन्हें देखने का नज़रिया बदला है? हालात ने नज़र पर पड़ी धुंध को हटाया तो असल राहुल को पहचाना जा रहा है?
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पंकज श्रीवास्तव
डॉ. पंकज श्रीवास्तव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।