कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ जारी घेरेबंदी ने साबित कर दिया है कि बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर राहुल गाँधी से बुरी तरह भयभीत है। उसे राहुल गाँधी का विपक्षी एकता का शिल्पकार होना रास नहीं आ रहा है। लेकिन राहुल गाँधी की संसद सदस्यता से लेकर उनका आवास छीन लेने जैसे उसके दाँव-पेच, राहुल गाँधी की निर्भय भंगिमा के सामने बचकाने लगते हैं। यह भंगिमा संकेत देती है कि राहुल अपने संघर्षपथ पर आगे बढ़ने के लिए हर क़ीमत चुकाने को सहज रूप से तैयार हैं। लालच या भय से विपक्ष को तोड़ने-झुकाने की आदी हो चुकी बीजेपी को समझ में नहीं आ रहा है कि राहुल जैसे ‘सत्याग्रही’ से कैसे निपटे?