आहत भावनाओं का अखाड़ा बन चुके भारत में किसी भगवाधारी संत को मांसाहारी बताना किसी को भी परेशानी में डाल सकता है। सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग से लेकर एफआईआर तक इसके सामान्य परिणाम हो सकते हैं, लेकिन इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से जुड़े साधु अमोघलीला दास के लिए धर्म की यह ‘नयी समझ’ उल्टी पड़ गयी। सोशल मीडिया पर ख़ासा सक्रिय अमोघलीला दास ने स्वामी विवेकानंद के मांस-मछली सेवन की आलोचना करते हुए कहा था कि ‘एक सदाचारी व्यक्ति किसी भी प्राणी को हानि नहीं पहुँचा सकता।‘ इस पर पश्चिम बंगाल में ख़ासतौर पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। नतीजा यह हुआ कि इस्कॉन ने उन्हें एक महीने के लिए अलग कर दिया। अमोघलीला दास ने माफ़ी माँग ली और गोवर्धन पर्वत पर प्रायश्चित के लिए चले गये हैं।