आहत भावनाओं का अखाड़ा बन चुके भारत में किसी भगवाधारी संत को मांसाहारी बताना किसी को भी परेशानी में डाल सकता है। सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग से लेकर एफआईआर तक इसके सामान्य परिणाम हो सकते हैं, लेकिन इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से जुड़े साधु अमोघलीला दास के लिए धर्म की यह ‘नयी समझ’ उल्टी पड़ गयी। सोशल मीडिया पर ख़ासा सक्रिय अमोघलीला दास ने स्वामी विवेकानंद के मांस-मछली सेवन की आलोचना करते हुए कहा था कि ‘एक सदाचारी व्यक्ति किसी भी प्राणी को हानि नहीं पहुँचा सकता।‘ इस पर पश्चिम बंगाल में ख़ासतौर पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। नतीजा यह हुआ कि इस्कॉन ने उन्हें एक महीने के लिए अलग कर दिया। अमोघलीला दास ने माफ़ी माँग ली और गोवर्धन पर्वत पर प्रायश्चित के लिए चले गये हैं।
स्वामी विवेकानंद, मांसाहार और धर्म का मर्म!
- विचार
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- पंकज श्रीवास्तव
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- 14 Jul, 2023


पंकज श्रीवास्तव
मांसाहार पर स्वामी विवाकानंद के क्या विचार थे? ‘घृणा’ को धर्म की जगह स्थापित करने वाले इस युग के धार्मिकजन क्या स्वामी विवेकानंद की बात को समझेंगे?
स्वामी विवेकानंद को आधुनिक युग में हिंदू धर्म को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करने वाला महान संत माना जाता है। स्वामी विवेकानंद के चेहरे को ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ अभियान के शुभंकर बतौर लाखों घरों और दुकानों की किवाड़ों पर बीते कुछ दशकों में चिपकाया गया है। लेकिन इसी अनुपात में उनके विचारों पर कोई चर्चा नहीं हुई। नतीजा ये है कि शाकाहार को ‘धर्म’ मानने वाले इस बात पर विश्वास नहीं कर पाते हैं कि स्वामी विवेकानंद खुलकर मांसाहार और धूम्रपान करते थे। यही नहीं, उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस भी मांसाहारी थे। मांसाहार को लेकर एक सवाल के जवाब में स्वामी विवेकानंद ने कहा- “मुझसे बारबार यह प्रश्न किया जाता है कि मैं मांस खाना छोड़ दूँ! मेरे गुरुदेव ने कहा था- कोई चीज़ छोड़ने का प्रयास तुम क्यों करते हो? वही तुम्हें छोड़ देगी। प्रकृति का कोई पदार्थ त्याज्य नहीं हैं“। (विवेकानंद साहित्य, भाग-4, पेज-165)
पंकज श्रीवास्तव
डॉ. पंकज श्रीवास्तव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।