गुजरात उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह एक स्व-प्रेरित जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए अपने 143 पृष्ठों के ऑर्डर में तीख़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था, ‘राज्य की स्थिति एक डूबते हुए टाइटेनिक जहाज़ और अहमदाबाद स्थित सिविल अस्पताल एक काल कोठरी या उससे भी बदतर है’, तो यक़ीन नहीं हुआ कि यह सब उस प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को लेकर कहा गया है जिसकी अद्भुत विकास की गाथाओं ने वर्ष 2014 में राष्ट्र को उसका नया प्रधानमंत्री दिया था।