मौजूदा राजनीतिक दौर में बुद्धिजीवियों की ओर से ‘इललिबरल रिवोल्युशन’ (Illiberal Revolution) नामक एक नया जुमला देखने में आ रहा है। इसका शाब्दिक अनुवाद ‘संकुचित क्रान्ति’ या ‘सीमित इंकलाब’ हो सकता है। सवाल यह है कि आख़िर ‘संकुचित क्रान्ति’ वाले जुमले का भावार्थ या मतलब क्या है? इसकी परिभाषा या व्याख्या क्या है?
कोरोना और कराहती अर्थव्यवस्था के बावजूद जनता उफ़ क्यों नहीं करती?
- विचार
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- 28 Jul, 2020

दक्षिणपन्थ अपने आप में कोई विचारधारा है ही नहीं। यह ‘इललिबरल्स’ का जमावड़ा है। यह कम्युनिस्टों और सोशलिस्टों की क्रान्तियों से पनपने वाले बदलावों को फिर से प्राचीन, रूढ़िवादी, जातिवादी, नस्लवादी और शोषण-मूलक व्यवस्था में धकेलने की सोच है।
मुकेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक हैं। 28 साल लम्बे करियर में इन्होंने कई न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में काम किया। पत्रकारिता की शुरुआत 1990 में टाइम्स समूह के प्रशिक्षण संस्थान से हुई। पत्रकारिता के दौरान इनका दिल्ली