आरएसएस/बीजेपी के दिग्गज नेता, देश के गृह मंत्री अमित शाह ने, नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लोक सभा में पेश करते हुए, 9 दिसम्बर को कहा:
भारत विभाजन : क्या है आरएसएस और हिंदुत्ववादियों की भूमिका?
- विचार
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- 15 Aug, 2021

भारत-पाक बँटवारे के लिए कौन ज़िम्मेदार था? हम स्वतंत्रता के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। इस मौके पर सत्य हिन्दी की ख़ास पेशकश।
‘आप जानना चाहेंगे यह क़ानून बनाना क्यों ज़रूरी है। अगर कांग्रेस ने इस देश को धर्म के नाम पर न बँटवाया होता तो इस क़ानून को लाने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ती। यह कांग्रेस थी जिसने देश को धर्म के आधार पर विभाजित कराया, हमने नहीं।’
यह सफ़ेद झूठ बोलकर अमित शाह ने इतिहास की सच्चाइयों का जानबूझकर विध्वंस किया है ताकि 1947 में देश विभाजन, जिसमें आधुनिक इतिहास के सबसे बड़े ख़ून-ख़राबों में से एक के असली मुजरिमों को बचाया जा सके। हैरान करने वाली बात यह है कि अमित शाह समेत आरएसएस/बीजेपी शासक टोली जो अपने आप को बीएस मुंजे, भाई परमानंद, विनायक दामोदर सावरकर, एमएस गोलवलकर और अन्य हिंदू राष्ट्रवादियों की हिंदुत्ववादी परंपरा का वारिस बताती है, आज यह दावा कर रही है कि वे भारत का विभाजन नहीं चाहते थे। यह इस ऐतिहासिक सच्चाई के बावजूद कहा जा रहा है कि उपरोक्त हिन्दू राष्ट्रवादी नायकों ने न केवल दो क़ौमी सिद्धांत की अवधारणा प्रस्तुत की बल्कि उन्होंने आक्रामक रूप से माँग की कि मुसलमानों को भारत, जो हमेशा से हिंदू राष्ट्र रहा है, से निकाल दिया जाए। इस टोली का आज भी विश्वास है कि हिंदू व मुसलमान दो अलग राष्ट्र हैं। भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर जिन्ना या मुसलिम लीग का उद्भव होने से बहुत पहले आरएसएस के लोग, जो आज सत्तासीन हैं, सतत माँग करते आए हैं कि मुसलमानों व ईसाइयों से नागरिक अधिकार छीन लिए जाने चाहिए।