आज़ाद भारत इस 15 अगस्त को पूरे 74 साल का हो जाएगा। 74 साल के इस बूढ़े देश के जवान बेटे-बेटियों को आज कुछ भी याद नहीं कि भारत के जन्म के समय क्या-क्या हुआ था। उन्होंने कुछ लोगों के नाम सुन रखे हैं और उनके बारे में सुनी-सुनाई और पढ़ी-पढ़ाई धारणाएँ पोस रखी हैं। एक थे जिन्ना, जिन्होंने धर्म के आधार पर देश को दो भागों में बँटवा दिया। एक थे नेहरू जिन्होंने प्रधानमंत्री बनने के लिए देश का बँटवारा स्वीकार कर लिया। एक थे पटेल जो नेहरू से ज़्यादा योग्य थे लेकिन गाँधी जी ने उनको प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। एक थे गाँधी जिन्होंने पहले तो बँटवारे का विरोध किया, लेकिन बाद में न केवल मान लिया बल्कि पाकिस्तान को 50 करोड़ दिलवाने के लिए अनशन भी किया। और एक थे सुभाष चंद्र बोस जो बंदूक़ के बल पर देश को आज़ाद कराना चाहते थे लेकिन असफल रहे और बाद में नेहरू ने उनको गुमनामी के अँधेरे में जीने को मजबूर कर दिया।
विभाजन विभीषिका : जिन्ना से पहले ही पड़ गया था फूट का बीज
- विचार
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- 14 Aug, 2021

भारत-पाक बँटवारे के लिए कौन ज़िम्मेदार था? हम स्वतंत्रता के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। इस मौके पर सत्य हिन्दी की ख़ास पेशकश।
विभाजन के लिए मुसलिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, पर विभाजन के बीज उनके बहुत पहले ही पड़ गए थे। क्या है मामला?
ये सब किंवदंतियाँ हैं जो फ़ेसबुक और वॉट्सऐप पर ‘सत्यकथा’ की तरह चलती रहती हैं जो उतनी ही सच होती हैं जितनी कि कोई भी कल्पित कहानी। अव्वल तो कोई सत्य जानता नहीं चाहता और जो जानना चाहता है, उसे भी ‘सच और केवल सच’ कहीं नहीं मिलता। हर जगह फ़िल्टर्ड ट्रुथ है। तो क्या सच जानना इतना ही मुश्किल है या कि बिल्कुल असंभव है? हम ऐसा नहीं मानते।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश