आज़ाद भारत इस 15 अगस्त को पूरे 72 साल का हो जाएगा। 72 साल के इस बूढ़े देश के जवान बेटे-बेटियों को आज कुछ भी याद नहीं कि भारत के जन्म के समय क्या-क्या हुआ था। उन्होंने कुछ लोगों के नाम सुन रखे हैं और उनके बारे में सुनी-सुनाई और पढ़ी-पढ़ाई धारणाएँ पोस रखी हैं। एक थे जिन्ना, जिन्होंने धर्म के आधार पर देश को दो भागों में बँटवा दिया। एक थे नेहरू जिन्होंने प्रधानमंत्री बनने के लिए देश का बँटवारा स्वीकार कर लिया। एक थे पटेल जो नेहरू से ज़्यादा योग्य थे लेकिन गाँधी जी ने उनको प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। एक थे गाँधी जिन्होंने पहले तो बँटवारे का विरोध किया लेकिन बाद में न केवल मान लिया बल्कि पाकिस्तान को 50 करोड़ दिलवाने के लिए अनशन भी किया। और एक थे सुभाष चंद्र बोस जो बंदूक़ के बल पर देश को आज़ाद कराना चाहते थे लेकिन असफल रहे और बाद में नेहरू ने उनको गुमनामी के अँधेरे में जीने को मजबूर कर दिया।