पाँच जून के दिन को याद करना और याद रखना ज़रूरी है। अगले पाँच जून तक तो देश में कई परिवर्तन हो जाएँगे, बहुत कुछ बदल जाएगा, बदल दिया जाएगा! देश नहीं जानता है कि वे परिवर्तन क्या और कैसे होंगे! उनचास साल पहले पाँच जून 1974 को बिहार की राजधानी पटना के ‘गांधी मैदान’ से जिस ‘संपूर्ण क्रांति’ की शुरुआत हुई थी वह आज भी पूरी नहीं हुई है। बहत्तर-वर्षीय जयप्रकाश नारायण उस क्रांति के कृष्ण थे, सारथी और नायक थे। पाँच दशकों के बाद देश एक बार फिर एक नई क्रांति के दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है पर उसके पास कोई नायक और लोकनायक नहीं है।